नई दिल्ली। हर सरकार की सफलता काफी हद तक योजनाओं का धरातल में मिल रहे लाभ से ही तय होती है, जिसकी जिम्मेदारी होती है अधिकारियों की| जो जनता और सरकार के बीच की कड़ी बनकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ दिला सके और योजनाओं का उद्देश्य पूरा हो| लेकिन कुछ अधिकारी सुस्त रवैया अपनाते हैं, जिससे सरकार की छवि ख़राब होती है| अब ऐसे अधिकारी कर्मचारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है| केंद्र की मोदी सरकार ने भ्रष्ट और अक्षम पाए गए 312 सरकारी अधिकारियों को नौकरी से बाहर कर दिया है, मोदी सरकार ने कठोर कार्रवाई करते हुए ग्रुप A और ग्रुप B के कुल 312 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया है|
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बुधवार को एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। जितेंद्र सिंह ने बताया कि जुलाई 2014 से मई 2019 तक सेवा नियमावली के तहत गु्रप-ए के 36,756 और ग्रुप-बी के 82,654 अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा की गई। इसके बाद ग्रुप-ए के 125 और गु्रप-बी के 187 अधिकारियों को सेवानिवृत्त कर दिया गया। अनुशासनात्मक नियमों के तहत और सरकार के पास उपलब्ध सुबूतों के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति देने का पूरा अधिकार है।
मध्य प्रदेश में तैयार हो रही लिस्ट
केंद्र सरकार की इस कार्रवाई के साथ ही उत्तराखंड और एमपी की राज्य सरकारों ने भी अपने शासन के नकारा अफसरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है| मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अक्षम और अयोग्य अफसरों की कामकाज की समीक्षा करने के सख्त निर्देश दिए हैं| सीएम ने एक महीने का समय दिया है, ऐसे अफसरों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है| इसके बाद 20 50 के फॉर्मूले के तहत उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जायेगी| इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को जारी एक निर्देश में कहा है कि सरकारी कामकाज को बेहतर बनाने के लिए जो कर्मचारी-अधिकारी अक्षम और अक्षमता से कार्य कर रहे हैं, उन्हें सेवा से हटाया जाए| जिन कर्मचारियों-अधिकारियों की आयु 50 वर्ष हो गई है और सेवा काल के 20 वर्ष हो गए हैं, उनके कार्यो की समीक्षा की जाए|